चंडीगढ़ मेयर चुनाव में लोकतंत्र की जीत, अवैध 8 वोट हुए वेलिड, कांग्रेस और आप के हक में आया फैसला
चंडीगढ़ के हाली मेयर चुनाव में प्रमुख अनियमितताओं का पता चला, जहां कांग्रेस और आप के कई वोट अवैध पाए गए क्योंकि अधिकारी अनिल मसीह ने इन्हें छेड़छाड़ की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन 8 अवैध वोटों को मान्य कर दिया, जिससे कांग्रेस और आप गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण बदलाव हुआ। भाजपा के मेयर मनोज सोनकर ने मामले में वायरल वीडियो के चलते इस्तीफा दे दिया, इससे भाजपा की विकट कोशिशें दिखाई दी कि वे सत्ता में बने रहें। मसीह कोर्ट द्वारा नियमों का उल्लंघन करने के लिए खटखटाया गया, जिससे वोटों की गिनती को फिर से करने का आदेश दिया गया। इस नतीजे से चंडीगढ़ में कांग्रेस-आप गठबंधन की जीत पक्की हो गई है, जबकि भाजपा अपनी अधिकार की कसर खो चुकी है। चंडीगढ़ नगर निगम में 35 सदस्य हैं, जिसमें किरण खेर भी वोट डालती हैं। पहले का सियासी समीरकरण भाजपा के पक्ष में था, लेकिन अवैध वोटों के नतीजे से भाजपा की हार जताई जा रही है। मेयर के उम्मीदवार आप के कुलदीप कुमार टीटा थे, जबकि कांग्रेस के गुरप्रीत सिंह गैबी और निर्मला देवी डिप्टी मेयर के लिए उम्मीदवार थे। कोर्ट का निर्णय लोकतंत्र की जीत को दर्शाता है और भाजपा के सत्ता के लिए एक प्रहार है।
वोटों की गिनती में पुनःगणना का आदेश
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बड़ी धांधली देखनी को मिली थी। बता दें कि अधिकारी अनिल मसीह ने कांग्रेस और आप के कई वोटों के साथ छेड़छाड़ की। इस मामले को लेकर 20 फरवरी 2024 यानी आज के दिन इस मामले की सुनवाई हुई। आज व्यक्तिगत रुप से अनिल मसीह कोर्ट में पेश हुए। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने मेयर चुनाव के आठ इनवैलिड किए गए मतपत्रों के अलावा वीडियो फुटेज की भी जांच की। चंडीगढ़ के मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह को कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने सभी 8 अवैध वोटों को वेलिड बताया है | इसके बाद अब वोटों की फिर से काउंटिंग की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ ने बीजेपी और आम के बीच 8 वोटों के "अमान्य" किए जाने के विवाद पर सुनवाई करते हुए इसकी जांच की, इसके बाद कोर्ट ने कहा कि इनको फिर से गिना जाएगा| इन सभी अमान्य वोटों को मान्य माना जाएगा, इसके आधार पर ही चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे। मेयर चुनाव में इन वोटों की फिर से गिनती होने के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मेयर चुनाव में जीत और बढ़ गई है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में आप-कांग्रेस गठबंधन को बड़ी जीत हासिल हुई है।
बीजेपी को जीतने के लिए अधिकारी अनिल मसीह ने नहीं छोड़ी थी कोई कसर
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ. जिसमें अधिकारी अनिल मसीह को देखा जा सकता है कि कैसे वो लोकतंत्र की हत्या खुलेआम कर रहे थे। ऐसे सबूत सोशल मीडिया पर मिले जिसमें अनिल मसीह के बीजेपी के साथ अच्छे संबंध को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले बीजेपी के मेयर मनोज सोनकर ने इस्तीफा दे दिया है| इस बीच रविवार देर रात आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदो ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. अब आप समझ सकते है भाजपा का मकसद केवल सत्ता में रहना है, फिर चाहे वो लोकतंत्रिक हो या अलोकतांत्रिक तरीके से।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में अवैध वोटों का निर्णय
19 फरवरी 2024 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा है कि वह चुनाव में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा निशान लगाए गए बैलेट पेपर की जांच खुद करेगा। कोर्ट मामले की वीडियो फुटेज भी जांच की। कोर्ट ने कहा कि पीठासीन अधिकारी ने नियमों का पालन नहीं किया। उनके लगाए निशान को नजरअंदाज कर आज वोटों की गिनती की जाएगी। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मेयर चुनाव फिर से नहीं कराया जाएगा। पहली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 'लोकतंत्र की हत्या' जैसी गंभीर टिप्पणी की थी। 30 जनवरी को मेयर पद के लिए चुनाव हुए थे जिसमें बीजेपी के मनोज सोनकर को जीत हासिल करते हुए दिखाया गया था। आप और कांग्रेस के उम्मीदवार हारे नहीं थे उन्हें हराया गया था. क्योंकि सबको पता था दोनों के वोट मिलकर आराम से बहुमत पार हो रहा था. मनोज सोनकर ने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप टीटा को 4 वोटों से हरा दिया। क्योंकि पीठासीन अधिकारी ने गठबंधन के 8 वोट अमान्य करार दिए थे। आपको बता दूं कि कांग्रेस और आप ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था. कांग्रेस और आप ने चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। इसके साथ ही आप ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
जानें किसके पास है कितने वोट
चंडीगढ़ नगर निगम 35 सदस्यीय है। इन चुनावों में चंडीगढ़ के सभी 35 पार्षदों के साथ चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर भी वोट डालती हैं। 18 फरवरी के पहले नगर निगम का सियासी समीरकरण आप और कांग्रेस का गठबंधन भाजपा पर भारी था। बीजेपी के पास 14 पार्षद के साथ एक सांसद का वोट था। वहीं आप के पास 13 पार्षदों के वोट थे। इसके बाद कांग्रेस के 7 तो अकाली दल का 1 पार्षद है। अब आप के तीन पार्षद भाजपा में शामिल हो गए है। अब भाजपा के पास 14 की जगह 17 पार्षद हो गए हैं। पहले के आंकड़ो से साफ पता चल रहा है कि भाजपा सरकार पूरी तरह से हार रही है।
जानें कौन थे उम्मीदवार?
चंडीगढ़ में हर साल मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए चुनाव होते हैं। इनका कार्यकाल एक साल का ही होता है। दरअसल, 18 जनवरी को तीनों पद के लिए चुनाव होने थे. कांग्रेस और आप के बीच हुए समझौते के मुताबिक, मेयर की सीट के लिए आप की तरफ से कुलदीप कुमार टीटा उम्मीदवार बने। वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस के गुरप्रीत सिंह गैबी और निर्मला देवी वरिष्ठ डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पद के लिए चुनावी मैदान में उतारे।
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JYOTI KUMARI
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