पेपर लीक के अन्याय के खिलाफ राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दे पर युवाओं को मिला पहला न्याय
खुद की असफलताओं को छुपाती हैं भाजपा सरकार कैसे यूपी में हुए पेपर लीक मामलों को भाजपा सरकार स्वीकार करने को तैयार नहीं थी राहुल गांधी के द्वारा उठाया गया युवा न्याय पर आवाज.. कैसे युवाओं को दिलवाया न्याय ? भाजपा सरकार युवाओं के बारे में और युवाओं के रोजगार के बारे में कुछ नहीं सोचती सिर्फ जुमले देती है
उत्तरप्रदेश में लगातार पेपर लीक होना सरकार की नाकामियों को दर्शाता है। ज्यादा दुख तो तब होता है जब मोदी सरकार उन मामलों को छुपाने का प्रयास करती है। देखा गया था कि कुछ दिनों पहले यूपी कांस्टेबल पेपर लीक का जो मामला सामने आया उसे मोदी सरकार ने अफवाह बता कर टालना चाहा। लेकिन राहुल गांधी द्वारा लगातार इन मुद्दों पर जोर देना और मोदी सरकार को पेपर लीक के मामले पर घेरना शायद भाजपा सरकार की अंधी आंखों को खोल दिया है। इसलिए उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने कांस्टेबल परीक्षा को रद्द कर दिया और उन्होंने यह आश्वासन दिलाया कि 6 महीने के अंतराल में फिर से परीक्षा करवाई जाएगी। यह कांग्रेस की बड़ी जीत है क्योंकि मोदी सरकार लगातार देश के युवाओं के ऊपर अत्याचार कर रही है इसीलिए राहुल गांधी ने युवा न्याय की बात की और वह इस मामले में सफल भी हो गए। उत्तर प्रदेश में हुए पेपर लीक के मामले को लेकर अभ्यर्थी के साथ हुआ न्याय यह कांग्रेस की जीत के साथ-साथ भाजपा के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है।
फिर से पेपर होने पर युवा को मिला पहला न्याय
विद्यार्थियों के फिर से परीक्षा होने पर राहुल गांधी ने कहा, कि “यह छात्र शक्ति और युवा शक्ति की एक बहुत बड़ी जीत है,उत्तरप्रदेश पुलिस परीक्षा आखिरकार निरस्त की गई| संदेश साफ है सरकार कितना भी सच को दबाने की कोशिश करें एकजुट होकर लड़ने से ही अपना हक जीता जा सकता है। जो जुड़ेंगे वह जीतेंगे जो बटेंगे वह कुचल दिए जाएंगे” गोदी मीडिया में पूरी तरह से खलबली मच गई है आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले खुद यह गोदी मीडिया कह रही थी कि यूपी कांस्टेबल परीक्षा का पेपर लीक होना एक अफवाह है लेकिन गोदी मीडिया आज यह कह रही है कि मोदी और योगी सरकार ने युवाओं के हित मे बहुत बड़ा फैसला लिया जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा सरकार और मोदी सरकार भ्रष्ट है, ये युवाओं के हित में कोई फैसला नहीं लेती। अगर युवाओं के हित में फैसला लिया होता तो उत्तर प्रदेश कांस्टेबल का परीक्षा का पेपर लीक नहीं होता । यह पेपर लीक की घटना कोई नई घटना नहीं है क्योंकि उत्तर प्रदेश में इससे पहले भी कई पेपर लीक हुए है। जहां-जहां भाजपा सरकार है वहां पेपर लीक की घटना सबसे ज्यादा देखी गई है। मोदी सरकार में पेपर लीक होना जैसे आम बात हो गई है, यहां सात सालों में पेपर लीक की 14 घटनाएं देखी गई हैं।
उत्तर प्रदेश में हुए पेपर लीक के कुछ आंकड़े:-
उत्तर प्रदेश में 2017 से 2022 के बीच पेपर लीक की कम से कम आठ घटनाएं सामने आईं:-
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इंस्पेक्टर्स ऑनलाइन रिक्रूटमेंट टेस्ट (2017)
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टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (2021)
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प्रीलिमिनरी एलिजिबिलिटी टेस्ट (2021)
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बीएड ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (2021)
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एनईईटी-यूजी एग्जाम (2021)
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और क्लास 12th बोर्ड एग्जाम (2022) शामिल हैं|
डबल इंजन सरकार मतलब बेरोज़गारों पर डबल मार!
आज बेरोज़गारी की बीमारी से यूपी का हर तीसरा युवा ग्रसित है। जहां डेढ़ लाख से अधिक सरकारी पद खाली हैं, वहां न्यूनतम योग्यता वाले पदों के लिए भी ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और PhD होल्डर्स लाइन लगा कर खड़े हैं। पहले तो भर्ती निकलना एक सपना है, भर्ती निकले तो पेपर लीक, पेपर हुआ तो रिजल्ट का पता नहीं और लंबे इंतजार के बाद रिजल्ट आने पर भी अक्सर जॉइनिंग के लिये कोर्ट का चक्कर लगाने पड़ते है। सेना से लेकर रेलवे और शिक्षा से लेकर पुलिस तक की सभी भर्तियों का सालों साल इंतज़ार कर लाखों छात्र ओवरएज हो चुके हैं। निराशा के इस चक्रव्यूह में फंसा छात्र डिप्रेशन का शिकार होकर टूट रहा है। और इन सब से व्यथित होकर जब वह अपनी मांगें लेकर सड़क पर निकले तो मिलती हैं उसे पुलिस की लाठियां। एक छात्र के लिए नौकरी सिर्फ आय का साधन नहीं, बल्कि अपने परिवार का जीवन बदल देने का सपना है और इस सपने के टूटने के साथ पूरे परिवार की आस टूट जाती है। कांग्रेस की नीतियां युवाओं के सपनों के साथ न्याय करेंगी, हम उनकी तपस्या व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
-PREM RAJ SOURAV
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