मोदी सरकार किसानों की अभिव्यक्ति की आजादी के साथ कैसे खेल रही है जानें हाई लाइट प्वाइंट
आज किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। 24 फरवरी को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर कैंडल मार्च निकाला जाएगा। बता दें कि हरियाणा पुलिस की गोली से शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी। आज किसान आंदोलन को पूरे 12 दिन हो गए है. इन 12 दिनों में मोदी सरकार ने किसानों पर बेतहाशा अत्याचार किए है। इन अत्याचारों की लिस्ट बहुत लंबी है। इंटरनेट बैन होने से लेकर किसानों पर लाठीचार्ज जैसे जुल्म़ थमने का नाम नहीं ले रहा है। मानसिक रुप से किसानों को टॉर्चर किया जा रहा है।
खनौरी बॉर्डर पर शुभकरण व अन्य किसानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। आज 24 फरवरी को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर कैंडल मार्च निकाला जाएगा। बता दें कि 26 फरवरी को ट्रैक्टर मार्च के बाद, शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पीएम मोदी और हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के अलावा कॉरपोरेट घरानों के करीब 20 फुट ऊंचे पुतले फूंके जाएंगे। 27 को संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा आपसी चर्चा करेंगे। 28 को दोनों एक मंच पर आकर अपनी मांगों पर बातचीत करेंगे। 29 फरवरी को दिल्ली कूच को लेकर फैसला लिया जाएगा। पंजाब एवं हरियाणा की सीमा पर डटे किसानों में से एक शख्स की गुरुवार रात को मौत हो गई। मृतक दर्शन सिंह पंजाब के बठिंडा जिले के अमरगढ़ गांव के रहने वाले थे। 62 साल के दर्शन सिंह की मौत के पीछे का कारण अभी भी पता नहीं चल सका है। इससे पहले किसान आंदोलनकारी शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी।
किसान शुभकरण की हत्या करने वाले पुलिस अधिकारी पर कब दर्ज होगा केस?
आज किसान आंदोलन को 12 दिन हो जाएंगे है। किसान शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसानों ने दिल्ली कूच का फैसला 29 फरवरी तक टाल दिया है। किसान नेता सरवण पंधेर ने कहा, कि इस पर उसी दिन फैसला लेंगे। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आज शाम को कैंडल मार्च होगा। किसान नेताओं की मांग है, कि हरियाणा सरकार को मृतक किसान शुभकरण सिंह की हत्या करने के मामले में पुलिस अधिकारियों पर धारा IPC 302 के तहत मामला दर्ज हो, वहीं हरियाणा के 7 जिलों में मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है। इनमें अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मोबाइल इंटरनेट और बल्क मैसेजिंग पर पाबंदी लागू है।
मोदी सरकार ने बदं करवाए किसानों के सोशल मीडिया अकाउंट
किसानों ने कहा, कि मोदी सरकार किसान आंदोलन में उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है उनके सोशल मीडिया अकाउंट बंद किए जा रहे है। समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार यह गृह मंत्रालय के आदेश पर अस्थायी रूप से 177 सोशल मीडिया अकाउंट और वेब लिंक को बैन कर दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक़ किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद यह अकाउंट फिर से चालू कर दिए जाएंगे. वहीं सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ‘एक्स’ ने किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़े अकाउंट और पोस्ट ब्लॉक करने के मोदी सरकार के निर्देश पर आपत्ति जताई है। ‘एक्स’ के मालिक एलन मस्क ने कहा, अंकाउट बंद करना अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करना है. केंद्र सरकार के आदेश का पालन करते हुए एक्स ने कहा, हम केवल भारत में ही इन अकाउंट्स और पोस्ट्स पर रोक लगाएंगे। हम इन कार्रवाइयों से असहमत हैं और हमारा मानना है कि ये पोस्ट अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है।
किसानों के साथ बर्बरता का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
किसान आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बता दें कि 23 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि किसानों को आंदोलन करने से रोकना उनके अधिकार का उल्लंघन है। साथ ही कहा गया है कि केंद्र सरकार इस मामले में किसानों के प्रदर्शन को रोकने के लिए बल प्रयोग कर रही है जिस कारण कई किसानों की मौत हो गई और कई किसान घायल हो गए हैं। इसमें कहा गया है कि उनके लोकतांत्रिक अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. किसान शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने किसानों के प्रदर्शन को रोकने के लिए दिल्ली बॉर्डर पर लोहे के कीले, सीमेंट की दीवारे और भारी बल में सुरक्षा बल को तैनात कर दिया है, ताकि किसान दिल्ली में ना जा सकें।
जो किसान अपने अधिकारों को लेकर प्रदर्शन कर रहे है उनको राज्य सरकारों द्वारा हिरासत में लिया जा रहा है। किसानों के प्रदर्शन को रोकने के लिए धारा 144 लगाई गई है। केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दाग रही हैं। रबर की गोलियों का उपयोग कर रही है। इस कारण कई किसान गंभीर रुप से घायल भी हुए हैं। किसानों के साथ इस तरह से पेश आया जा रहा है जैसे वो कोई अपराधी हो।
-JYOTI KUMARI
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